आइये जानते हैं गुरदासपुर के बारे में कुछ जानकारी: गुरदासपुर पंजाब में स्थित है ये शहर पठानकोट से 45 किलोमीटर और अमृतसर से 70 किलोमीटर की दूरी पर है। गुरदासपुर शहर की खोज संत गौरैया दास जी ने की थी इस शहर का नाम भी उनही के नाम पर पड़ा।
- गुरदासपुर शहर की बात करें तो गुरदासपुर शहर के MLA 2023 में काँग्रेस से गुरमीत सिंह पाहरा है।
- गुरदासपुर के MP इस वक़्त मशहूर फिल्म अभिनेता सुन्नी देओल जी हैं जो की 2019 में बीजेपी की टीकेट से गुरदासपुर से जीते थे।
- गुरदासपुर शहर और इसके आसपास घूमने की बहुत सारी जगह हैं इनमे गुरदासपुर शहर में स्थित फिश पार्क, गुरदासपुर से कुछ दूरी पर स्थित छोटा घलुगारा, आदि कई स्थान हैं।
गुरदासपुर के परसिद्ध मंदिर: यूं तो गुरदासपुर शहर और इसके आसपास बहुत सारे मंदिर मोजूद हैं पर हम आपको गुरदासपुर और इसके आसपास के कुछ परसिद्ध मंदिरों के बारे में बताएँगे….
- पंडोरी धाम गुरदासपुर:
पंडोरी धाम मंदिर गुरदासपुर से तकरीबन 7 किलोमीटर की दूरी पर है। पंडोरी धाम जिसे ठाकुरद्वारा भगवान नारायण जी का मंदिर भी कहा जाता है रामानंदी संप्रदाय से संबंधित ये ऐतिहासिक हिंदू मंदिर है। यह भारतीय उपमहाद्वीप के 52 वैष्णव द्वारों में से एक है, जिसमें वैराग्य को संगठित किया गया है।
इस मंदिर की स्थापना रामानंदी संत श्री भगवान जी और उनके शिष्य श्री नारायण जी ने की थी, जिनके नाम पर इस मंदिर का नाम रखा गया है वक्त नाभा दास जी द्वारा लिखित प्रसिद्ध वैष्णव पाठ वक्त माला श्री भगवान जी और उनके शिष्य श्री नारायण जी की धर्म परायणता को दर्ज करता है यह मंदिर यह मंदिर अपने शानदार वैशाखी मेले के लिए जाना जाता है।
- कलानौर शिव मंदिर:
गुरदासपुर से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कलानौर शिव मंदिर का इतिहास बहुत ही पुराना है। भक्त दूर दूर से यहाँ पर दर्शन के लिए पहुँचते हैं इस मंदिर का पौराणिक नाम महाकालेश्वर है। भगवान शिव के इस अद्भुत मंदिर में हर मनोकामना पूरी होती है। मंदिर का इतिहास तकरीबन 5000 साल से भी ज्यादा का है। इस जगह का पहले नाम कूला और नूरा था को बाद में बादलकर कलानौर हो गया।

शिवरात्रि में इस मंदिर में बहुत बड़ा मेला आयोजित होता है दूर दूर से शरडालु दर्शन करने इस मंदिर में आते हैं कलानौर मुगल काल में भी परसिद्ध था यहाँ पर अकबर की ताजपोशी भी हुयी थी। राजा पुरू (पोरस) से लेके पृथ्वीराज चौहान तक कई राजाओं ने इस क्षेत्र पर राज किया।
- अचलेश्वर मंदिर बटाला:

गुरदासपुर से लगभग 40 किलोमीटर दूर भगवान शिव और कार्तिकय का धाम अचलेश्वर महादेव शिव मंदिर ये मंदिर अपनी पौराणिक इतिहास के लिए जाना जाता है जब भगवान शिव ने अपने दोनों पुत्र कार्तिकय और गणेश के बीच स्पर्धा कारवाई जिसमे धरती के 7 चक्कर लगाने को कहा गया जो ये चक्कर पहले लगता वो जीत जाता।

कार्तिकय अपनी सवारी मोर को लेकर धरती के चक्कर लगाने चले गए किन्तु गणेश वहीं पर रहे और भगवान शिव और माता पार्वती के आसपास 7 चक्कर लगाए और कहा की आपमे ही सारा संसार है तो आपके चक्कर मैंने लगा लिए भगवान शिव ने गणेश को विजेता घोषित कर दिया तो जब कार्तिकय धरती के 7 चक्कर लगाकर बापिस आए तो उन्होने देखा की गणेश को तो पहले ही विजेता घोषित करदीय जबकि गणेश ने तो पृथ्वी के चक्कर लगाए ही नहीं।
इस बात से नाराज होकर कार्तिकय कैलाश से बटला जहां पर आज अचलेश्वर धाम है उसी जगह पर आ गए भगवान शिव भी कार्तिकय को मनाने के लिए उनके पीछे यहाँ आ गए भगवान शिव ने कार्तिकय को बहुत मनाने की कोशिश की परंतु कार्तिकय राजी ना हुये और जाने से माना करदिया तब भगवान शिव ने कार्तिकय को वरदान दिया की यहीं पर तुम्हारा वास होगा जो भी भक्त यहाँ पर सच्चे मन से कुछ माँगेगा उसकी मनोकामना पूर्ण होगी।
- बाबा लाल दयाल मंदिर:
बाबा लाल दयाल मंदिर गुरदासपुर से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ये मंदिर बाबा लाल दयाल जी को स्मरपित है बाबा लाल दयाल जी का जन्म लाहोर में कसूर नामक स्थान जो की आज पाकिस्तान में है पर 1355 में हुआ था और उनकी मृत्यु ध्यानपुर धाम में ही 1655 में हुयी थी यानि की बाबा लाल दयाल जी 300 साल तक जीवित रहे थे।
1495 में बाबा लाल दयाल गुरदासपुर के इस गाँव ध्यानपुर में आए थे बाबा ने अपना बाकी का जीवन इसी स्थान पर बिताया मुग़ल शासक शाहजहाँ के पुत्र दारा शिकोह ने भी अपनी जीवन वार्ता में बाबा लाल दयाल जी के चमत्कार और उनसे मिलने की बात लिखी है।
इस स्थान पर भक्त दूर दूर से संतान की प्राप्ति के लिए भी आते है अगर कोई निसंतान हो तो लोग यहाँ पर आकार म्ंतें मांगते हैं कहा जाता है की जो कोई सच्चे दिल से यहाँ अपनी संतान प्राप्ति के लिए प्रथना करता है तो उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है।
- गुरदासपुर के अन्य मंदिर:
गुरदासपुर शहर और इसके आसपास बहुत सारे मंदिर हैं जिनकी गिनती हजारों में है वहीं गुरदासपुर शहर में हनुमान मंदिर, गीता भवन मंदिर, शनिदेव मंदिर, कृष्ण मंदिर आदि बहुत परसिद्ध हैं।
हमने ये जानकारी इतिहासिक किताबों और कई इतिहासिक ग्रन्थों से ली है कोई भी त्रुटि हो तो उसके लिए क्षमा प्रार्थी हैं अधिक जानकारी और सुझाव के लिए contactus@vaishnomata.in पर संपर्क करें।