हिन्दू धर्म:
हिन्दू धर्म में 3 परमुख देवता हैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं की कहानिया इतिहास ग्रंथो किताबों से भरा पड़ा है आज हम आपको इनहि में से एक भगवान विष्णु की कहानी सुनाने जा रहे हैं|
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का धरती पर आना:
बहुत पुरानी बात एक एक बार भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी धरती पर घूमने निकले भगवान विष्णु जब धरती पर घूमने के लिए आ रहे थे तब वह लक्ष्मी माता को साथ लेकर नहीं आ रहे थे तभी माँ लक्ष्मी ने भगवान से आग्रह किया की हे प्रभु आप मुझे भी साथ लेकर चलें भगवान विष्णु ने पहले तो मना किया परंतु माता के बार-बार आग्रह पर भगवान इंकार ना कर पाये और माता को धरती पर साथ लेकर जाने को मान गए।
पर भगवान ने माँ लक्ष्मी के आगे एक शर्त राखी की वो जब धरती पर उनके साथ हों तो उत्तर दिशा की और ना देखें माँ ने पूछा की ऐसा क्यूँ तो भगवान ने कहा की बस यही शर्त है की तुम उत्तर दिशा की और नहीं देखोगी माता ने वादा किया की वह उत्तर दिशा की और नहीं देखेंगी परभू माता को लेकर धरती की और चल पड़े।
माता लक्ष्मी का उत्तर दिशा की और देखना:
जब माता और भगवान विष्णु धरती पर पहुंचे तो भगवान धरती का भ्रमण करने लगे माता लक्ष्मी भी उनके साथ ही थी माता धरती की खूबसूरती को देख रही थी तभी माता लक्ष्मी इतनी खो गयी की उनको अपना किया हुआ वादा भी याद नहीं रहा माता उत्तर दिशा की और देखने लगी और वहाँ उन्होने एक किसान का खेत देखा वहाँ पर लहलहाते सुंदर रंग बिरंगे फूल थे माता उन फूलों को देखकर मोहित हो गयी और उस खेत से फूल तोड़कर ले आई।
जब भगवान विष्णु ने माता को देखा की उन्होने अपना किया वादा तोड़ दिया तो भगवान क्रोदित हुये और भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी को अपना वादा याद दिलवाया माता को जब याद आया तो माता लक्ष्मी ने क्षमा मांगी और कहा की उन्हे अपनी भूल का समरण है और वो पछचाताप करने को तयार है।
माता लक्ष्मी को भगवान विष्णु की आज्ञा:
माता लक्ष्मी को भगवान विष्णु ने आज्ञा दी की वह उस किसान जिसके बिना पूछे फूल तोड़े हैं उसके घर पर नोकरणी बनकर रहना होगा उन फूलों के बदले माता को उस किसान के घर काम करना होगा माता ने भगवान विष्णु के आदेश का पालन किया और एक सादरन औरत का वेश बनाकर उस किसान के घर की तरफ चल पड़ी।
माता लक्ष्मी का किसान के घर जाना:
माता लक्ष्मी किसान के घर पहुंची तो देखा की किसान बहुत ही गरीब है माता ने किसान के घर का दरबाज़ा खटखटाया और देखा की किसान के घर किसान के साथ उसकी पत्नी और उसके दो बच्चे रहते हैं माता ने उनसे कहा की वह एक बेसहारा इस्तरी है और उसके पास रहने को कोई स्थान नहीं माता ने कहा की वो उनका सारा काम कारदिया करेगी बस उन्हे वहाँ रहने दिया जाए किसान और किसान का परिवार भला था उन्होने उसपर दया की और अपने यहाँ पर रख लिया।
माता किसान की झोंपड़ी में ही रहने लगी ऐसे ही कुछ समय बीत गया माता लक्ष्मी के आने के बाद किसान की फसल फूल बहुत ही अच्छे भाव में भीकने लगे और उसकी अच्छी ख़ासी कमाई होने लगी किसान बहुत खुश रहने लगा किसान ने एक नया घर भी बना लिया ऐसे ही समय बीतता रहा और माता लक्ष्मी भी किसान के घर काम करती रही और किसान एक अमीर आदमी बन गया।
किसान भी सोचने लगा की जब से ये औरत इस घर में आई है तब से वह खुशहाल और अमीर होता जा रहा है इसका जीकर उसने अपनी पत्नी से किया की इस औरत के कारण उनका जीवन स्वर गया इसके आने से पहले कहाँ दो वक़्त की रोटी भी मिलना मुछकिल होता था और अब कहाँ इतना पैसा इतनी धन धौलत।
किसान की पत्नी ने भी कहा हाँ ये बात तो सच है की इस और के आने के बाद हमारी किस्मत बादल गयी है जरूर ये औरत कोई दिव्य महिला है।
माँ लक्ष्मी के बारे में पता चलना:
किसान और उसकी पत्नी ने उस औरत जो की माँ लक्ष्मी ही थी पर नज़र रखनी शुरू की तभी उन्होने देखा की भगवान विष्णु उस औरत के सामने प्रकट होते हैं और भगवान विष्णु माता लक्ष्मी से कहते हैं की अब तुम्हारी सज़ा पूरी हुयी अब बैकुंठ लॉट चलो माता लक्ष्मी विष्णु भगवान से कहती हैं की जैसी आपकी आज्ञा प्रभु पर जाने से पहले इस किसान की आज्ञा भी लेनी है।
तभी किसान और उसका परीवार देख चुका था की जो औरत उनके घर में नोकरानी बनकर रेह रही हैं वह तो स्वयं ही माता लक्ष्मी है किसान और उसका परीवार माता लक्ष्मी के चरणों में गिर पड़ते हैं और क्षमा मांगने लगते हैं की हे माता हमने आपको अपने घर में नोकरणी बनाकर रखा आपसे घर और खेतों में काम कराया माता हमे क्षमा करें हमसे भूल हुयी जो हम आपको पहचान ना सके।
माता लक्ष्मी ने कहा मैं तुम्हारे करुणा भाव से परसन्न हूँ मांगो क्या मांगते तो किसान का परिवार भोला माता आपने तो पहले ही हमें सबकुछ दिया है अभी कुछ मांगने को बचा हो नहीं बस हमे अपने चरणों में जगह देदो माता ने आशीर्वाद दिया और बैकुंठ की और भगवान विष्णु के पास चली गयी।
किसान के घर माता के जाने का कारण:
माता लक्ष्मी जब भगवान विष्णु के पास पहुंची तो माता ने भगवान से कहा की हे प्रभु आपके बिना जाने ऐसा हो ही नहीं सकता की कुछ गटित हो जाए तो फिर मेरा यूं पृथ्वी पे जाना मुझसे भूल होना और उस किसान के घर रहना ये सभ आपकी माया ही थी ना प्रभु भगवान विष्णु भोले हे लक्ष्मी ये किसान मेरा परम भक्त था पर इसके पिछले करम के कारण मैं इसकी शयता नहीं कर पा रहा था।
हे लक्ष्मी जीवन में कुछ भी ऐसे ही नहीं मिलता मैंने तुम्हें आगाह किया था की उत्तर दिशा की और मत देखना लेकिन तुमने देखा और इस किसान के बिना पूछे उसके फूल तोड़ लायी ये किसान बहुत गरीब था इसने उन फूलों को उगाने में में बहुत मेहनत की थी तो जो तुमने उसके फूल तोड़े उसके बदले कुछ तो देना बनता ही था।
हे लक्ष्मी जहां पर भी तुम्हारा वास होता है वो जगह कभी धन से वंचित नहीं रहती इसीलिए जब तुम उसके घर गयी तो उसको सबकुछ मिल गया वो किसान गरीब से अमीर हो गया इतना कहकर भगवान विष्णु अंतरध्यान हो गए।
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अकलमंद हंस की कहानी: Story Of The Wise Swan
अकलमंद हंस:
बहुत समय पहले की बात है एक बहुत ही विशाल पेड़ हुआ करता था। उसपर बहुत सारे हंस रहा करते थे उनमे से एक हंस बहुत ही चतुर और सयाना था वह बहुत ही बुद्धिमान और दूरदर्शी भी था सब उसका आदर करते थे और उसको ताऊ कहकर बुलाते थे।
एक दिन की बात है हंस इधर उधर टहल रहा था तो उसने देखा की एक नन्ही सी बेल पेड़ के तने लिपटी हुयी है ताऊ हंस ने सबको बुलाकर कहा देखो इस बेल को नष्ट करदो नहीं तो ये बेल एक दिन हमारे लिए मुसीबत पैदा कर देगी तभी एक युवा हंस हस्ते हुये बोला ताऊ ये नन्ही सी बेल भला हाम्रा क्या बिगाड़ सकती है।
बुद्धिमान हंस ने समझाया की आज ये तुम्हें छोटी सी लग रही है लेकिन ये बेल धीरे धीरे पेड़ के सारे तने को लपेटा मारकर ऊपर तक जाएगी फिर इस बेल का तना मोटा होने लगेगा और पेड़ से चिपक जाएगा
#सोमनाथ का मन्दिर लूट कर महमूद गजनबी वापिस गजनी जा रहा था। उसके साथ एक लाख सेना थी।
एक पड़ाव पर जैसे ही सेना पहुँची कि डेढ़ सौ घुड़सवारों का एक जत्था लोहा लेने के लिये तीर की तरह बढ़ता आ रहा था ।
टुकड़ी का नेतृत्व एक सत्तर वर्ष का बूढ़ा #राजपूत कर रहा था ।
महमूद गजनबी समझ नहीं सका कि इतनी छोटी टुकड़ी आखिर क्यों एक लाख सेना से लड़ कर अपने को समाप्त करने आ रही है।
उसने दूत भेजा और इन लड़ाकुओं का मंतव्य पुछवाया।
बूढ़े नायक ने कहा— बादशाह से कहना कि संख्या और साधन बल में इतना अन्तर होने पर भी लड़ने का क्या परिणाम हो सकता है सो हम जानते हैं।
पर भूलें यह भी नहीं कि अनीति को जीवित रहते कभी सहन नहीं करना चाहिये।
घुड़सवारों की टुकड़ी जान हथेली पर रख कर इस तरह लड़ी कि डेढ़ सौ ने देखते−देखते डेढ़ हजार को धराशायी बना दिया।
भारी प्रतिरोध में वह दल मर खप कर समाप्त हो गया।
पर मरते दम तक वे कहते रहे कि यदि हम आज एक हजार भी होते तो इन एक लाख से निपटने के लिये पर्याप्त थे ।
इस बिजली झपट लड़ाई का महमूद पर भारी प्रभाव पड़ा।
वह राजपूतों की अद्भुत वीरता पर अवाक् रह गया।
भविष्य की नीति निर्धारित करते हुए उसने नया आधार ढूँढ़ा।
भारतीयों को बल से नहीं जीता जा सकता, उन पर विजय पाने के लिए छल का प्रयोग करना चाहिए।
क्योंकि इस देश के निवासी छल से परिचित ही नहीं है।।
और आज भी कुछ लोग हिन्दुओ में जाती, पाती, ऊच, नीच, दलित, स्वर्ण जेसे छल का प्रयोग करके उन्हें बाँट रहे है ।
यही हमारी कमजोरी है और यही हमारा पतन भी ।
अंग्रेजो ने शिक्षा व्यवस्था बदल दी, संस्कृति बदल दी।
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भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कहानी,
Introduction
Significance of भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी in Hindu Mythology,
The Origin of भगवान विष्णु,
Role of भगवान विष्णु in the Hindu Trinity,
Legends Surrounding भगवान विष्णु’s Birth,
The Essence of माता लक्ष्मी,
The Goddess of Wealth and Prosperity,
Symbolism of माता लक्ष्मी in Hindu Culture,
The Divine Union of भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी,
The Concept of Divine Love and Harmony,
Mythological Tales Depicting Their Relationship,
Significance of Their Relationship in Hinduism,
Lessons Learned from भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी,
The Role of Their Union in Maintaining Cosmic Order,
Cultural Depictions of भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी,
Art and Literature Inspired by Their Stories,
Festivals Celebrating Their Divine Love,
Conclusion
The Enduring Legacy of भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी,