श्रीधर और भैरव नाथ की कथा
कटरा से कुछ दूरी पर स्थित भंसाली गांव में मां वैष्णवी के परम भक्त श्रीधर रहते थे. वे निसंतान होने से दुखी रहते थे. एक दिन उन्होंने नवरात्रि पूजन के लिए कुंवारी कन्याओं को बुलाया मां वैष्णो कन्या वेश में उन्हीं के बीच आ बैठी. पूजन के बाद सभी कन्याएँ तो चली गई पर मां वैष्णो देवी वहीं पर रही और श्रीधर से बोली, की सबको अपने घर भंडारे का निमंत्रण दे आओ श्रीधर ने उस कन्या की बात मान ली और आसपास के गांव में भंडारे का संदेश दिया, वहां से लौट कर आते समय गुरु गोरखनाथ और उनके शिष्य बाबा भैरव नाथ भैरव नाथ जी के साथ उनके दूसरे शिष्यों को भी भोजन का निमंत्रण दिया।
- भोजन का निमंत्रण:
भोजन का निमंत्रण पाकर सभी गांव वासी अचंभित थे कि वह कौन सी कन्या है. जो इतने सारे लोगों को भोजन करवाना चाहती है, इसके बाद श्रीधर के घर में अनेक गांव वासी आकर भोजन के लिए जमा हुए तब कन्या रूपी मां वैष्णो देवी ने एक विचित्र बर्तन से सभी को भोजन परोसना शुरू किया. भोजन करते हुए भैरवनाथ ने कहा कि मैं तो खीर पुरी नहीं खाऊँगा मुझे उसकी जगह मांस और मदिरा पान चाहिए वरना भोजन नहीं करूंगा।
तब कन्या रूपी मां ने उसे समझाया कि वह यह एक ब्राह्मण के यहां का भोजन है, इसमें मांसाहार नहीं परोसा जा सकता, किंतु भैरवनाथ जानबूझकर अपनी बात पर अड़ा रहा तब भैरवनाथ ने उस कन्या को पकड़ना चाहा तब माता वैष्णो देवी उसके कपट को समझ गयी और माता वहाँ से वायु मार्ग से त्रिकुटा पर्वत की ओर चल पड़ी।
- भैरव नाथ ने किया माता वैष्णो देवी का पीछा:
भैरवनाथ भी उनके पीछे गया माना जाता है कि मां की रक्षा के लिए पवन पुत्र हनुमान भी थे हनुमान जी को प्यास लगने पर माता ने उनके आग्रह पर दनुष से पहाड़ पर तीर चला कर एक जलधारा निकाली और उस जल से हनुमान जी की प्यास भुजाई और उस पानी में अपने केशों को धोया। आज उसी स्थान को बान गंगा के नाम से जाना जाता है. वैष्णो देवी यात्रा के रास्ते में ये स्थान आता है. इस के पवित्र जल को पीने या इसमें स्नान करने से श्रद्धालुओं की सारी थकावट और तकलीफें दूर हो जाती है।
वही माता ने भैरवनाथ से पीछा छुड़ाने के लिए माता ने एक गुफा में प्रवेश किया और वहाँ पर 9 माह तक तपस्या की भेरुनाथ भी उनके पीछे वहां तक आ गया. और 9 माह तक प्रतीक्षा करता रहा. तब एक साधु ने भैरवनाथ से कहा कि तू जिसे एक कन्या समझ रहा है वह आदि शक्ति जगदंबा माता है. इसलिए उस महाशक्ति का पीछा छोड़ दे भैरवनाथ ने साधु की बात नहीं मानी।
- 9 माह तक गुफा में रहना-
तब माता गुफा 9 माह बाद दूसरी और से मार्ग बनाकर वहां से बाहर निकल गई यह गुफा आज भी अर्ध कुंवारी या आदि कुमारी या गर्भ जून के नाम से प्रसिद्ध है. गुफा से बाहर निकलकर कन्या ने देवी का रूप धारण किया माता ने भैरवनाथ को चेताया और वापस जाने को कहा फिर भी वह नहीं माना माता गुफा के भीतर चली गयी तब माता की रक्षा के लिए हनुमान जी गुफा के बाहर थे. और उन्होंने भैरवनाथ से युद्ध किया भैरवनाथ ने फिर भी हार नहीं मानी जब वीर लंगूर ने नीडाल होने लगे तब माता वैष्णवी ने महाकाली का रूप लेकर भैरवनाथ का संहार किया।
माता ने भैरवनाथ का सिर काट दिया वह सिर कटके 8 किलोमीटर दूर की घाटी में गिरा. वो स्थान को भैरवनाथ के मंदिर के नाम से जाना जाता है. जिस स्थान पर माता वैष्णो देवी ने भैरवनाथ का वध किया वह स्थान आज माता वैष्णो देवी भवन के नाम से प्रसिद्ध है.
- माता के रूप-
- महाकाली, मां सरस्वती, और मां लक्ष्मी के रूप में पिंडियों के रूप में विराजमान है मां वैष्णो देवी इन्ही तीन देवियों के रूप को माता वैष्णो देवी कहा जाता है. कहा जाता है कि अपने वध के बाद भैरवनाथ को अपनी भूल का पश्चाताप हुआ और उसने मां से क्षमा की भीख मांगी माता वैष्णो देवी जानती थी. कि उन पर हमला करने के पीछे भैरव की प्रमुख मंछा मोक्ष प्राप्त करने की थी।
- इसलिए उन्होंने न केवल भैरव को पुनर्जन्म के चक्कर से मुक्ति प्रदान की बल्कि उसे वरदान देते हुए कहा कि मेरे दर्शन तब तक पूरे नहीं माने जाएंगे जब तक कोई वक्त मेरे बाद तुम्हारे दर्शन नहीं करेगा उसी मान्यता के अनुसार आज भी भक्त माता वैष्णो देवी के दर्शन करने के बाद करीब 3 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई करके भैरव नाथ के दर्शन करने जाते हैं।
- वहीं श्रीधर को माता ने सपने में जो स्थान बताया था श्रीधर उसी रास्ते आगे बढ़े उन्होंने सपने में देखा था बे गुफा के द्वार पर पहुंचे उन्होंने कई विधियों से पिंडी की पूजा की और अपना सारा जीवन माता की भक्ति में बिताया माता वैष्णो देवी उनकी पूजा से प्रसन्न हुई माता उनके सामने प्रकट हुई और उन्हें आशीर्वाद दिया. तब से श्रीधर और उनके वंशज देवी मां वैष्णो देवी की पूजा करते आ रहे हैं।
- आज माता वैष्णो देवी की यात्रा साल के 12 महीने खुली रहती है. माता के दर्शन करने शरडालु दूर दूर से यहाँ पहुँचते हैं. लाखों की तादाद में भक्त माता के दर्शन करने आते हैं।
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