Rudrashtakam (Namami-Shamishan-Nirvan-Roopam) Lyrics in Hindi | नमामीशमीशान रुद्राष्टकम लिरिक्स और अर्थ

नमामीशमीशान: जीवन में सुख-शांति लाने वाला दिव्य मंत्र

क्या आपके मन में कभी बेचैनी है? क्या आप जीवन की कठिनाइयों से घिरे हुए हैं? सनातन धर्म में, जब भी भक्तों पर संकट आया है, उन्होंने आदिदेव भगवान शिव की शरण ली है।

और जब बात शिव-स्तुति की आती है, तो गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित रुद्राष्टकम् से बढ़कर कोई और शक्ति नहीं हो सकती। ‘नमामीशमीशान निर्वाणरूपं’ – ये शुरुआती शब्द ही मन को एक गहरी शांति और विश्वास से भर देते हैं।

यह लेख आपको रुद्राष्टकम् की महिमा, इसके अर्थ और आपके जीवन को बदलने वाले इसके चमत्कारी लाभों के बारे में विस्तार से बताएगा। अगर आप भगवान शिव की सर्वश्रेष्ठ स्तुति खोज रहे हैं, तो आपकी खोज यहीं समाप्त होती है।

1. रुद्राष्टकम् का गूढ़ अर्थ: शिव के अद्भुत रूप का दर्शन

( Rudrashtakam Namami Shamishan )

यह स्तोत्र केवल कुछ पंक्तियों का संग्रह नहीं, बल्कि स्वयं शिव के सम्पूर्ण स्वरूप का वर्णन है। आइए, उन कुछ मुख्य श्लोकों का अर्थ समझते हैं जो आपने साझा किए हैं:

Rudrashtakam Namami Shamishan

श्लोक की पंक्ति (शुरुआत) सरल अर्थ (भाव)
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं… मैं उस ईश्वर को नमन करता हूँ, जो ईशान दिशा के स्वामी हैं और जो स्वयं मोक्ष (निर्वाण) का स्वरूप हैं। जो सर्वव्यापक हैं, ब्रह्म और वेदों के सार हैं, निर्गुण और इच्छा रहित हैं।
निराकारमोङ्करमूलं तुरीयं… मैं उन गिरीश (पर्वतों के स्वामी) को नमस्कार करता हूँ, जिनका कोई आकार नहीं है, जो ॐकार के मूल हैं, और जो ज्ञान-वाणी की पहुँच से भी परे हैं। जो महाकाल के भी काल हैं (मृत्यु को भी नियंत्रित करने वाले)।
तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभिरं… जिनका रंग बर्फ के पहाड़ (कैलाश) जैसा सफेद और गौर है, जो गहरे और गंभीर हैं। जिनकी जटाओं में सुन्दर गंगा बहती है, और मस्तक पर अर्धचन्द्रमा और गले में सर्प सुशोभित है।
चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं… जिनके कानों में कुण्डल हैं, जिनकी भौंहें सुंदर हैं, और नेत्र विशाल हैं। जो प्रसन्नमुख हैं, नीलकण्ठ हैं और दयालु हैं। जो मृगचर्म धारण करते हैं और मुंडमाल से सुशोभित हैं।
प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं… जो अत्यंत प्रचंड, उत्कृष्ट, और पूर्ण तेजस्वी हैं। जो अविनाशी (अखंड), अजन्मा हैं और करोड़ों सूर्यों के समान प्रकाश वाले हैं। जो त्रिशूल से सब दुःखों को नष्ट करने वाले हैं।

यह स्तुति शिव के रूप, उनकी शक्ति, और उनके परम दयालु स्वभाव का एक संपूर्ण चित्रण प्रस्तुत करती है।

Rudrashtakam Namami Shamishan

2. रुद्राष्टकम् पाठ करने के 3 चमत्कारी लाभ

( Rudrashtakam Namami Shamishan )

रुद्राष्टकम् का पाठ करने से केवल धार्मिक पुण्य ही नहीं मिलता, बल्कि जीवन की व्यावहारिक समस्याओं का भी समाधान होता है। इसे शिव स्तुति का राजा माना जाता है, और इसके लाभ अद्भुत हैं:

  1. दुःख और भय का नाश (सर्वभूताधिवासं): श्लोक में कहा गया है—न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं। जब तक आप उमानाथ (पार्वती के पति) के चरण कमलों को नहीं भजते, तब तक सुख, शांति और संताप (दुःख) का नाश नहीं होता। इस स्तोत्र के पाठ से व्यक्ति सभी तरह के भय, चिंता और संतापों से मुक्त हो जाता है।
  2. महाकाल का आशीर्वाद (जराजन्मदुःखौघ): यह स्तुति स्वयं महाकाल को समर्पित है, जो समय के भी नियंत्रक हैं। इसका नियमित पाठ वृद्धावस्था, जन्म, और मृत्यु के भय को कम करता है, और व्यक्ति को आध्यात्मिक बल प्रदान करता है।
  3. इच्छाओं की पूर्ति (कल्याण कल्पान्तकारी): शिव को ‘कल्याण कल्पान्तकारी’ कहा गया है—अर्थात कल्याण करने वाले। सच्चे मन से किया गया यह पाठ भक्त की सभी शुभ इच्छाओं को पूरा करने का मार्ग खोलता है और जीवन में सकारात्मकता लाता है।

Rudrashtakam Namami Shamishan

3. रुद्राष्टकम् का पाठ कब और कैसे करें?

( Rudrashtakam Namami Shamishan )

इस स्तोत्र की शक्ति तब और बढ़ जाती है जब इसे सही विधि और भाव से किया जाए।

  • सर्वोत्तम समय: सोमवार का दिन (शिव का वार), प्रदोष काल (शाम का समय), और शिवरात्रि या सावन मास।
  • पाठ की विधि:
    1. स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें।
    2. पूजा स्थल पर बैठें, मुख पूर्व या उत्तर दिशा में रखें।
    3. शिवलिंग या शिव प्रतिमा के समक्ष घी का दीपक जलाएँ।
    4. सबसे पहले भगवान गणेश का ध्यान करें।
    5. अब, पूर्ण एकाग्रता और स्पष्ट उच्चारण के साथ रुद्राष्टकम् का पाठ करें।
    6. पाठ के बाद शिव से अपनी समस्याओं को दूर करने की प्रार्थना करें।

क्या आपके मन में कभी बेचैनी है? क्या आप जीवन की कठिनाइयों से घिरे हुए हैं? सनातन धर्म में, जब भी भक्तों पर संकट आया है, उन्होंने आदिदेव भगवान शिव की शरण ली है।

और जब बात शिव-स्तुति की आती है, तो गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित रुद्राष्टकम् से बढ़कर कोई और शक्ति नहीं हो सकती। ‘नमामीशमीशान निर्वाणरूपं’ – ये शुरुआती शब्द ही मन को एक गहरी शांति और विश्वास से भर देते हैं।

यह लेख आपको रुद्राष्टकम् की महिमा, इसके अर्थ और आपके जीवन को बदलने वाले इसके चमत्कारी लाभों के बारे में विस्तार से बताएगा। अगर आप भगवान शिव की सर्वश्रेष्ठ स्तुति खोज रहे हैं, तो आपकी खोज यहीं समाप्त होती है।

Rudrashtakam Namami Shamishan

रुद्राष्टकम् का संपूर्ण पाठ

( Rudrashtakam Namami Shamishan )

गोस्वामी तुलसीदास कृत यह स्तोत्र भगवान शिव को समर्पित है, जिसका पाठ करने से व्यक्ति सभी प्रकार के दुखों से मुक्त हो जाता है:

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् । निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाशमाकाशवासं भजेहम् ॥१॥

निराकारमोङ्करमूलं तुरीयं गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम् । करालं महाकालकालं कृपालं गुणागारसंसारपारं नतोहम् ॥२॥

तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभिरं मनोभूतकोटिप्रभाश्री शरीरम् । स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी चारुगङ्गा लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ॥३॥

चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् । मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं प्रियं शङ्करं सर्वनाथं भजामि ॥४॥

प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशम् । त्र्यःशूलनिर्मूलनं शूलपाणिं भजेहं भवानीपतिं भावगम्यम् ॥५॥

कलातीतकल्याण कल्पान्तकारी सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी । चिदानन्दसंदोह मोहापहारी प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥६॥

न यावद् उमानाथपादारविन्दं भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् । न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासम् ॥७॥

न जानामि योगं जपं नैव पूजां नतोहं सदा सर्वदा शम्भुतुभ्यम् । जराजन्मदुःखौघ तातप्यमानं प्रभो पाहि आपन्नमामीश शंभो ॥८॥

Rudrashtakam Namami Shamishan

1. रुद्राष्टकम् का गूढ़ अर्थ: शिव के अद्भुत रूप का दर्शन

( Rudrashtakam Namami Shamishan )

यह स्तोत्र केवल कुछ पंक्तियों का संग्रह नहीं, बल्कि स्वयं शिव के सम्पूर्ण स्वरूप का वर्णन है। आइए, उन कुछ मुख्य श्लोकों का अर्थ समझते हैं जो आपने साझा किए हैं:

श्लोक की पंक्ति (शुरुआत) सरल अर्थ (भाव)
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं… मैं उस ईश्वर को नमन करता हूँ, जो ईशान दिशा के स्वामी हैं और जो स्वयं मोक्ष (निर्वाण) का स्वरूप हैं। जो सर्वव्यापक हैं, ब्रह्म और वेदों के सार हैं, निर्गुण और इच्छा रहित हैं।
निराकारमोङ्करमूलं तुरीयं… मैं उन गिरीश (पर्वतों के स्वामी) को नमस्कार करता हूँ, जिनका कोई आकार नहीं है, जो ॐकार के मूल हैं, और जो ज्ञान-वाणी की पहुँच से भी परे हैं। जो महाकाल के भी काल हैं (मृत्यु को भी नियंत्रित करने वाले)।
तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभिरं… जिनका रंग बर्फ के पहाड़ (कैलाश) जैसा सफेद और गौर है, जो गहरे और गंभीर हैं। जिनकी जटाओं में सुन्दर गंगा बहती है, और मस्तक पर अर्धचन्द्रमा और गले में सर्प सुशोभित है।
चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं… जिनके कानों में कुण्डल हैं, जिनकी भौंहें सुंदर हैं, और नेत्र विशाल हैं। जो प्रसन्नमुख हैं, नीलकण्ठ हैं और दयालु हैं। जो मृगचर्म धारण करते हैं और मुंडमाल से सुशोभित हैं।
प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं… जो अत्यंत प्रचंड, उत्कृष्ट, और पूर्ण तेजस्वी हैं। जो अविनाशी (अखंड), अजन्मा हैं और करोड़ों सूर्यों के समान प्रकाश वाले हैं। जो त्रिशूल से सब दुःखों को नष्ट करने वाले हैं।

यह स्तुति शिव के रूप, उनकी शक्ति, और उनके परम दयालु स्वभाव का एक संपूर्ण चित्रण प्रस्तुत करती है।

Rudrashtakam Namami Shamishan

2. रुद्राष्टकम् पाठ करने के 3 चमत्कारी लाभ

( Rudrashtakam Namami Shamishan )

रुद्राष्टकम् का पाठ करने से केवल धार्मिक पुण्य ही नहीं मिलता, बल्कि जीवन की व्यावहारिक समस्याओं का भी समाधान होता है। इसे शिव स्तुति का राजा माना जाता है, और इसके लाभ अद्भुत हैं:

  1. दुःख और भय का नाश (सर्वभूताधिवासं): श्लोक में कहा गया है—न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं। जब तक आप उमानाथ (पार्वती के पति) के चरण कमलों को नहीं भजते, तब तक सुख, शांति और संताप (दुःख) का नाश नहीं होता। इस स्तोत्र के पाठ से व्यक्ति सभी तरह के भय, चिंता और संतापों से मुक्त हो जाता है।
  2. महाकाल का आशीर्वाद (जराजन्मदुःखौघ): यह स्तुति स्वयं महाकाल को समर्पित है, जो समय के भी नियंत्रक हैं। इसका नियमित पाठ वृद्धावस्था, जन्म, और मृत्यु के भय को कम करता है, और व्यक्ति को आध्यात्मिक बल प्रदान करता है।
  3. इच्छाओं की पूर्ति (कल्याण कल्पान्तकारी): शिव को ‘कल्याण कल्पान्तकारी’ कहा गया है—अर्थात कल्याण करने वाले। सच्चे मन से किया गया यह पाठ भक्त की सभी शुभ इच्छाओं को पूरा करने का मार्ग खोलता है और जीवन में सकारात्मकता लाता है।

Rudrashtakam Namami Shamishan

3. रुद्राष्टकम् का पाठ कब और कैसे करें?

( Rudrashtakam Namami Shamishan )

इस स्तोत्र की शक्ति तब और बढ़ जाती है जब इसे सही विधि और भाव से किया जाए।

  • सर्वोत्तम समय: सोमवार का दिन (शिव का वार), प्रदोष काल (शाम का समय), और शिवरात्रि या सावन मास।
  • पाठ की विधि:
    1. स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें।
    2. पूजा स्थल पर बैठें, मुख पूर्व या उत्तर दिशा में रखें।
    3. शिवलिंग या शिव प्रतिमा के समक्ष घी का दीपक जलाएँ।
    4. सबसे पहले भगवान गणेश का ध्यान करें।
    5. अब, पूर्ण एकाग्रता और स्पष्ट उच्चारण के साथ रुद्राष्टकम् का पाठ करें।
    6. पाठ के बाद शिव से अपनी समस्याओं को दूर करने की प्रार्थना करें।

Rudrashtakam Namami Shamishan

निष्कर्ष

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं केवल एक मंत्र नहीं, बल्कि शिव भक्ति का सार है। यह हमारी आत्मा को अज्ञान, मोह और भय से मुक्त करने का एक शक्तिशाली साधन है।

यदि आप अपने जीवन में शांति, शक्ति और शिव का आशीर्वाद चाहते हैं, तो आज से ही इस स्तुति को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लें। शिव के चरणों में पूर्ण समर्पण ही इस संसार सागर से पार ले जाने वाला एकमात्र मार्ग है।

क्या आप चाहते हैं कि मैं इस स्तोत्र का पाठ करने की विधि को और सरल ढंग से समझाऊँ, या इसके प्रत्येक श्लोक का और भी गहरा दार्शनिक अर्थ बताऊँ? मुझे बताएं!

Rudrashtakam Namami Shamishan

निष्कर्ष

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं केवल एक मंत्र नहीं, बल्कि शिव भक्ति का सार है। यह हमारी आत्मा को अज्ञान, मोह और भय से मुक्त करने का एक शक्तिशाली साधन है।

यदि आप अपने जीवन में शांति, शक्ति और शिव का आशीर्वाद चाहते हैं, तो आज से ही इस स्तुति को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लें। शिव के चरणों में पूर्ण समर्पण ही इस संसार सागर से पार ले जाने वाला एकमात्र मार्ग है।

Rudrashtakam Namami Shamishan

क्या आप चाहते हैं कि मैं इस स्तोत्र का पाठ करने की विधि को और सरल ढंग से समझाऊँ, या इसके प्रत्येक श्लोक का और भी गहरा दार्शनिक अर्थ बताऊँ? मुझे बताएं!

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