Blog

Mata chintapurni – माता चिंतपूर्णी का इतिहास

जय माता दी,

चिंतपूर्णी माता चिंताओं को हरने बाली सबकी झोली भरने वाली माता। दूर – दूर से लोग यहाँ आते है। मन की मुरादें लेकर, कोई आता है अपनी Medical Problem लेकर कोई आता है। यहाँ अपनी कई तरह की चिंताओं को लेकर माता चिंतपूर्णी हर तरह की चिंताओं को हर लेती है।

माता चिंतपूर्णी हिमाचल परदेश में स्थित है। ये मंदिर उना जिला में पड़ता है। हिमाचल परदेश को देव भूमि भी कहा जाता है। यहाँ हज़ारों पौराणिक मंदिर मौजूद हैं। उन्ही में से एक माता चिंतपूर्णी का भी मंदिर है। माता चिंतपूर्णी का एक नाम माता छिन्नमस्तिका भी है।

चिंतपूर्णी माता जी के जाने के लिए पठानकोट, मुकेरीआँ, होशियार, चंडीगढ़, दिल्ली, धर्मशाला, शिमला और भी कई स्थानो से सीधी बसें चलती हैं। यहाँ साल में ३ बार मेले लगते हैं। पहला चैत्र मास के नवरात्रो में । दूसरा श्रावण मास में । तीसरा अश्विन मास के नवरात्रों में। नवरात्रों में यहां काफी भीड़ लगती है ।

ये स्थान हिन्दुओं के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है । ये स्थान 51 शक्तिपीठ में से एक है । यहां पर माता सती जी के चरण गिरे थे ।
ये मंदिर भी बाकी शक्तिपीठों की तरहं ही शिव और शक्ति से जुड़ा है । धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इन सभी 51 स्थलों पर देवी के अंग गिरे ।

एक बार की बात है । ब्रह्म पुत्र और शिव के ससुर राजा दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया जिसमे उन्होंने शिव और सती को आमंत्रित नही किया । क्योंकि वह शिव को अपना शत्रु समझते थे । क्योंकि दक्ष के पिता ब्रह्मा का पांचवा शीश शिव ने काट दिया था । जिसकी वजह से अपने पिता के हुए इस अपमान के वजह से दक्ष शिव को अपना शत्रु मानता था । और उसने यज्ञ में सभी देवी देवताओं को आमंत्रित किया किन्तु भगवान शिव और अपनी पुत्री सती को आमंत्रित नही किया । सती को ये बात बहुत बुरी लगी और भगवान शिव के समजने पर भी वह बिना बुलाये यज्ञ में चली गयी । यज्ञ में दक्ष द्वारा शिव का अपमान किया गया ।

जिसे सती माता सहन ना कर सकी और अपने आप को अग्नि में समर्पित कर दिया । जब ये बात शिव को पता चली तो भगवान शिव क्रोधित हो गए और दक्ष का सिर धड़ से अलग कर दीया । बाद में दक्ष की पत्नी के आग्रह पर शिव ने दक्ष को क्षमा किया और बकरे का सिर लगा के दक्ष को जीवित कर दिया । पर सती के गम में शिव सती का जला हुआ शरीर लेकर आकाश में भ्रमण करने लगे । भगवान विष्णु ने तब शिव को शांत करने के लिए अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर ले टुकड़े करदिये । धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार माता सती के शरीर के 51 भाग हुए उनकी को आज 51 शक्तिपीठ कहा जाता जाता है । 51 में से ही एक माता चिंतपूर्णी का भी दरबार है ।

भारत के इलावा पाकिस्तान में जैसे हिंगलाज माता मंदिर और बांग्लादेश में भी 51 शक्तिपीठो में से कुछ शक्तिपीठ मौजूद हैं ।

जय माता चिंतपूर्णी ।

श्री दुर्गा चालीसा – Shri Durga Chaalisa

https://amzn.to/3YnujF8

Vaishno Mata

Recent Posts

गुरदासपुर शहर – Gurdaspur City

गुरदासपुर पंजाब में स्थित है । ये शहर अमृतसर से 70 किलोमीटर दूर है। आज…

1 month ago

श्री दुर्गा चालीसा – Shri Durga Chaalisa

श्री दुर्गा चालीसा नमो नमो दुर्गा सुख करनी। नमो नमो दुर्गा दुख हरनी।। निरंकार है…

1 month ago