Maa Baglamukhi Temple : इनके दर्शन मात्र से पूरी होती हैं सारी मनोकामनाएँ – मां बगलामुखी मंदिर

मां बगलामुखी मंदिर: इस देवी के मंदिर में मिलता है मनवांछित फल पौराणिक कथाओं में मां बगलामुखी का महत्व। पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान मां का मंदिर बनाया और पूजा अर्चना की। पहले रावण और उसके बाद लंका पर विजय पाने के लिए श्रीराम ने शत्रुनाशिनी मां बगलामुखी की पूजा की और विजय पाई। मां बगलामुखी को पितांबरी भी कहा जाता है। इस कारण मां के वस्त्र, प्रसाद, मौली, और आसन से लेकर हर कुछ पिला ही होता है।

Maa Baglamukhi Temple : इनके दर्शन मात्र से पूरी होती हैं सारी मनोकामनाएँ - मां बगलामुखी मंदिर

सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा का ग्रंथ जब एक राक्षस ने चुरा लिया और पाताल में छिप गया तब उसके बध के लिए मां बगलामुखी की उत्पत्ति हुई थी। पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान मां का मंदिर बनाया और पूजा अर्चना की। पहले रावण और उसके बाद लंका पर जीत के लिए श्रीराम ने शत्रुनाशिनी मां बगलामुखी की पूजा की और विजय पाई।

मां को पितांबरी की देवी भी कहा जाता है। इस कारण मां के वस्त्र, प्रसाद, मौली, और आसन से लेकर हर कुछ पीला ही होता है। युद्ध हो या राजनीति या फिर कोर्ट कचहरी के विवाद मां के मंदिर में यज्ञ कर हर कोई मनवांछित फल पाता है।
हिंदू पौराणिक कथाओं में मां बगलामुखी को 10 महाविद्याओं में आठवां स्थान प्राप्त है।

Maa Baglamukhi Temple : इनके दर्शन मात्र से पूरी होती हैं सारी मनोकामनाएँ - मां बगलामुखी मंदिर

मां की उत्पत्ति ब्रह्मा द्वारा आराधना करने के बाद हुई थी। मान्यता है कि सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा का ग्रंथ एक राक्षस ने चुरा लिया और पाताल में छिप गया था। उसे वरदान प्राप्त था कि पानी में मानव और देवता उसे नहीं मार सकते। ऐसे में ब्रह्मा ने मां भगवती का जाप किया। इसे बगलामुखी की उत्पत्ति हुई। मां ने बगुला का रूप धारण कर उस राक्षस का वध किया, और ब्रह्मा को उनका ग्रंथ लौटआया।

त्रेता युग में मां बगलामुखी को रावण की इष्ट देवी के रूप में भी पूजा जाता था। रावण ने शत्रुओं का नाश कर विजय प्राप्त करने के लिए मां की पूजा की थी। लंका विजय के दौरान जब इस बात का पता भगवान श्रीराम को लगा तो उन्होंने भी मां बगलामुखी की आराधना की थी। बगलामुखी का यह मंदिर महाभारत काल का माना जाता है। इस मंदिर की स्थापना द्वापर युग में पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान एक ही रात में की थी।

Maa Baglamukhi Temple : इनके दर्शन मात्र से पूरी होती हैं सारी मनोकामनाएँ - मां बगलामुखी मंदिर

यहां सर्वप्रथम अर्जुन एवं भीम ने युद्ध में शक्तियां प्राप्त करने और मां बगलामुखी की कृपा पाने के लिए विशेष पूजा की थी। मां बगलामुखी का मंदिर जिला कांगड़ा के बनखंडी गांव में है। पुजारी सचिन शर्मा बताते हैं कि मंदिर के साथ प्राचीन शिवालय में आदमकद शिवलिंग स्थापित है, यहां लोग माता के दर्शन के उपरांत जलाभिषेक करते हैं। यह मंदिर लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है। मां की जिस स्वरूप का वर्णन है मां उसी स्वरूप में यहां विराजमान है।

मंदिर के पुजारी ने बताया कि मां हल्दी रंग के जल में प्रकट हुई थी। पीले रंग के कारण मां को पीतांबरी देवी भी कहा जाता है। इन्हें पीले रंग अति प्रिय है, इसलिए इनके पूजन में पीले रंग की सामग्री का उपयोग होता है, देवी बगलामुखी का रंग स्वर्ण के समान पीला होता है।

Maa Baglamukhi Temple : इनके दर्शन मात्र से पूरी होती हैं सारी मनोकामनाएँ - मां बगलामुखी मंदिर

साधक को मां बगलामुखी की आराधना करते समय पीले वस्त्र ही धारण करने चाहिए। मंदिर की हर चीज पीले रंग की है। यहां तक कि वस्त्र, प्रसाद, मौली मंदिर का रंग भी पीला है। इनके कई स्वरूप है।इस महाविद्या की उपासना रात्रि काल में करने से विशेष सिद्धि प्राप्त होती है। इनके भैरव महाकाल है। मां बगलामुखी भक्तों के भय को दूर करके शत्रुओं और उनकी बुरी शक्तियों का नाश करती हैं।

पूजा और हवन का महत्व-देवी बगलामुखी में संपूर्ण ब्रह्मांड की शक्ति का समावेश है। शत्रुनाशनी देवी मां बगलामुखी मंदिर में मुकदमों में फंसे लोग परिवारिक क्लेश में जमीन विवाद को सुलझाने के लिए बाकी सिद्धि वाद-विवाद में में विजय नवग्रह शांति रिद्धि सिद्धि प्राप्त और सर्व कष्टों के निवारण के लिए शत्रु नाशक हवन करवाते हैं। उनकी उपासना से शत्रु का नाश होता है तथा भक्तों का जीवन हर प्रकार की वादा से मुक्त हो जाता है।

Maa Baglamukhi Temple : इनके दर्शन मात्र से पूरी होती हैं सारी मनोकामनाएँ - मां बगलामुखी मंदिर

राजनीति में विजय प्राप्त करने के लिए इस मंदिर में प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी पूजा कर चुकी है। वर्ष 19 77 में चुनावों में हार के बाद पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने मंदिर में तांत्रिक अनुष्ठान करवाया था। उसके बाद वह फिर सत्ता में आई और 1980 में देश की प्रधानमंत्री बने। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, पीएम मोदी, के बड़े भाई प्रह्लाद मोदी, मंदिर में पूजा कर चुके हैं।

वोट मामले में फंसे सांसद अमर सिंह, सांसद जयप्रदा, मनविंदर सिंह बिट्टा, कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर, भूपेंद्र हुड्डा, राज बब्बर की पत्नी नादिरा बब्बर, गोविंदा, और गुरदास मान, जैसी हस्तियां यहां आ चुकी है। संकट के समय कॉमेडी किंग कपिल शर्मा भी यहां आ चुके हैं । इस बार दिसंबर को मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जुगनाथ ने अपनी पत्नी कोविता के साथ तांत्रिक पूजा और हवन करवाया था।

Maa Baglamukhi Temple : इनके दर्शन मात्र से पूरी होती हैं सारी मनोकामनाएँ - मां बगलामुखी मंदिर

हर कोई आपने मन्नत लेकर आता है और मनचाहा वर प्राप्त करता है। बगलामुखी माता सभी के कष्टों का हरण कर लेती है। बगलामुखी माता सबकी मुरादें पूरी करती है। जो भी मां बगलामुखी के दर्शन करने के लिए आता है वह कभी भी मां के दरबार से खाली नहीं जाता।

  • माता बगलामुखी का जन्म कैसे हुआ:

Maa Baglamukhi Temple : इनके दर्शन मात्र से पूरी होती हैं सारी मनोकामनाएँ - मां बगलामुखी मंदिर

इस पूरी सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा का ग्रंथ जब एक राक्षस ने चुरा लिया और पाताल में छिप गया। तब उसके बाद के लिए मां बगलामुखी की उत्पत्ति हुई थी। मां ने बगुला का रूप धारण कर उस राक्षस का वध किया और ब्रह्मा को उनका ग्रंथ लौट आया। पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान मां का मंदिर बनाया और पूजा अर्चना की। दूर-दूर से भक्त मां बगलामुखी के दर्शन के लिए आते हैं।

  •  बगलामुखी चालीसा पढ़ने से क्या होता है?

Maa Baglamukhi Temple : इनके दर्शन मात्र से पूरी होती हैं सारी मनोकामनाएँ - मां बगलामुखी मंदिर

कहा जाता है कि पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ माता बगलामुखी के चालीसा का पाठ करता है मां उनकी सभी इच्छाओं को पूर्ण करती है, और शत्रुओं से रक्षा कर उनका नाश भी बगलामुखी माता करती है।

  • बगलामुखी माता का भोग क्या है:

पूजा करते समय मुंह पूर्व दिशा की तरफ रखते हैं। मां बगलामुखी की पूजा के लिए चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाया जाता है। और मां को पीले रंग का फूल, फल, और मिठाई का भोग लगता है। मां के मंदिर का रंग भी पीला है।

  •  बगलामुखी माता कितनी शक्तिशाली है:

सारे ब्रह्मांड की शक्ति मिलकर भी इनका मुकाबला नहीं कर सकते। शत्रु नाश, वाकसिद्धि, वाद विवाद में विजय के लिए इनकी उपासना की जाती है। इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है, तथा जातक का जीवन निष्कंटक हो जाता है। किसी छोटे कार्य को पूरा करने के लिए इनके 100000 मंत्र का जाप करना होता है।

  • बगलामुखी का शक्तिशाली मंत्र क्या है:

सर्व कार्य सिद्धि के लिए माता बगलामुखी मंत्र।ॐ ह्रीं ऎं क्लीं श्रीं बगलात्रे मम रिपुं नाशय नाशय ममैश्वर्याणि देहि देहि शीघ्रं मनोवांछित साध्य साध्य ह्रीं स्वाहा।

  • बगलामुखी माता का नाम बगलामुखी क्यों पड़ा:

10 महाविद्याओं में अष्ट स्वरूप माता बगलामुखी का है। इनका ध्यान बगुला पक्षी की तरह एकाग्र है। विशेष रूप से माता का पूजन शत्रु पर विजय, राजनीति जीत, बच्चों की शिक्षा, मुकदमों में विजय, के लिए किया जाता है।

  • बगलामुखी कौन सा भगवान है:

इनको स्तम्भन शक्ति की देवी माना जाता है। सौराष्ट्र में प्रकट हुए महातूफान को शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने तपस्या की थी, और उसी तपस्या के फलस्वरूप मां बगलामुखी प्रकट हुई थी। शत्रु और विरोधियों को शांत करने के लिए तथा मुकदमों में विजय के लिए इनकी उपासना की जाती है।

  • बगलामुखी माता सती का कौन सा भाग गिरा था:

बगलामुखी माता के स्थान पर सती माता का बाया स्तन गिरा था, जो 1 शक्तिपीठ बन गया। 51 शक्तिपीठों में से एक बगलामुखी शक्तिपीठ है। यहां पर दूर-दूर से लोग माता के दर्शन के लिए आते हैं। कई राजनीति, हीरो आने लोग अपनी मुरादे लेकर मां के दरबार में आते हैं। और मां उनकी हर मुरादों को पूरा भी करती है। यह बहुत ही शक्तिशाली पीठ माना जाता है।

  • क्या दुर्गा बगलामुखी एक ही है:

देवी बगलामुखी मां दुर्गा का ही एक स्वरूप है। 10 महाविद्याओं में से मां बगलामुखी आठवां स्वरूप है। इनका स्वरूप सोने के समान पीला है। जिसके कारण इन्हें पितांबरा भी कहा जाता है। मां बगलामुखी अपने भक्तों की शत्रु तथा बुरी नजर और हर नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करती है।

  • बगलामुखी मंदिर पीला क्यों होता है:

बनखंडी गांव के इस बगलामुखी मंदिर के पुजारी ने बताया कि देवी हल्दी रंग के जल से प्रकट हुई थी। पीले रंग के कारण मां को पितांबरा देवी भी कहा जाता है। इन्हें पीले रंग बहुत प्रिय है। इनकी पूजा में पीले रंग की चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। देवी बगलामुखी का रंग सोने के समान पीला होता है। देवी में चढ़ने वाला पीला फूल, पीला आसन, और पिला प्रसाद, मां को अर्पित किया जाता है।

  • बगलामुखी मंदिर क्यों प्रसिद्ध है:

कहते हैं कि इस मंदिर की स्थापना महाभारत में विजय के उद्देश्य से भगवान कृष्ण की सलाह पर युधिष्ठिर ने की थी। मान्यता यह है कि यहां की बगलामुखी प्रतिमा स्वयंभू है। प्राचीन तंत्र ग्रंथों में 10 महाविद्याओं का उल्लेख है जिनमें से एक है बगलामुखी माता। मां भगवती बगलामुखी का महत्व समस्त देवियों से सबसे विशिष्ट है।

  • बगलामुखी का अर्थ क्या है:

बगलामुखी का अनुवाद “वह जो मुंह की जांच करता है”के रूप में होता है। वाणी को शांत करने और मन को शांत करने की उनकी शक्ति के लिए उनका नाम रखा गया है। योग में ऐसी अवस्था योगी को शांति और चेतना की उच्च अवस्था पाने में मदद करते हैं।

 

हमने ये जानकारी इतिहासिक किताबों और कई इतिहासिक ग्रन्थों से ली है कोई भी त्रुटि हो तो उसके लिए क्षमा प्रार्थी हैं अधिक जानकारी और सुझाव के लिए contactus@vaishnomata.in पर संपर्क करें।

अन्य लेख:Kamakhya Devi Temple History – कामाख्या मंदिर में छुपे हैं कुछ रहस्य ।

Leave a Comment