कामाख्या मंदिर में छुपे हैं कुछ ऐसे रहस्य जिनके बारे में जानकर आप भी चौंक जाएंगे।
- कामाख्या मंदिर का इतिहास.
पुराणिक कथा के अनुसार जब देवी सती अपने योग शक्ति से अपना देह त्याग गई थी। तब भगवान शिव उनको लेकर घूमने लगे उसके बाद भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता के 51 टुकड़े कर दिए थे जो कि आज 51 शक्तिपीठों के नाम से जाने जाते हैं। उसी में से 1 शक्तिपीठ है निलाचल पहाड़ी में भगवती सती की योनि (गर्भ) गिरा था। और उसी योनि (गर्व) ने एक देवी का रूप धारण किया जिसे आज कामाख्या देवी के नाम से जाना जाता है।
हमारे हिंदू धर्म में देवी देवताओं का एक अलग ही महत्व दर्शाया जाता है। यह एक इकलौता ऐसा धर्म है, जिसने ऐसी कई मान्यताएं और चमत्कार है। जिसके बारे में जानकर वैज्ञानिक भी हैरान रह जाते हैं। हिंदुओं के ऐसे कई सारे धार्मिक स्थल है। जहां पर ऐसी अलौकिक शक्तियां और चमत्कार है जिसके बारे में कई वैज्ञानिकों ने खोज भी की है। लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं मिला। हमारे हिंदू धर्म में आज भी उन जगहों को चमत्कारी माना चाहता है।
- 51 शक्तिपीठों में से एक.
धार्मिक स्थलों में से एक है माता कामाख्या का मंदिर कामाख्या मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यहां पर माता की योनि गिरी थी। दरअसल अपने पिता द्वारा भगवान शिव के अपमान के बाद माता सती क्रोधित हो गए थे अग्नि में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए थे। देवी सती द्वारा प्राण त्यागने के बाद भगवान शंकर बहुत क्रोधित हुए थे और सती को लेकर शंकर जी तांडव करने लगे थे। भगवान शंकर जी क्रोध में है वह सारी सृष्टि को नष्ट कर देना चाहते थे।
भगवान शंकर का तांडव रूप देखने के बाद तीनों लोगों में हाहाकार मच गया। तब शंकर जी का यह रूप देकर किसी को भी यह समझ में नहीं आ रहा था कि वह शंकर जी के क्रोध को कैसे शांत करें। अंतिम वर्ष विष्णु ने सती के शरीर को नष्ट करने का फैसला किया था भगवान ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के टुकड़े टुकड़े कर दिए थे इन्हीं टुकड़ों में से एक इस स्थान पर आकर गिर गया था। यह स्थान आज कामाख्या देवी के नाम से जाना जाता है।
देवी कामाख्या का मंदिर गुवाहाटी से करीब 8 किलोमीटर दूर कामगिरी पर्वत पर स्थित है। इस पर्वत को नीलांचल पर्वत भी कहा जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर में कई सारी अलौकिक शक्तियां हैं। इस स्थल को तंत्र सिद्धि के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
- देवी कामाख्या को तांत्रिक की देवी भी कहा जाता है.
मां कामाख्या की पूजा भगवान शिव की नववधू के रूप में की जाती है। यहां देवी को बलि भी चढ़ाई जाती है। तांत्रिक मां काली और त्रिपुर सिंदूरी देवी के बाद सबसे ज्यादा माता कामाख्या की पूजा की जाती है। सबसे ज्यादा आश्चर्य की बात यह है कि मंदिर के गर्भ घर में देवी की कोई प्रतिमा नहीं है। यहां मौजूद एक चट्टान के बीचो बीच विभाजन है। जो माता की योनि को दर्शाता है। कहते हैं कि यह स्थान हमेशा गीला रहता है।
कहा जाता है कि यहां मौजूद एक प्राकृतिक झरने के कारण यह जगह यहां गीली रहती है। इस झरने से निकलने वाला जल को काफी लाभदायक और शक्तिशाली माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जेल के नियमित सेवन से किसी भी तरह की कोई भी बीमारी नहीं होती है। सबसे हैरानी की बात यह है कि भारत में मासिक धर्म को शुद्ध माना जाता है। इस दौरान हमारे देश में महिलाओं को अशुद्ध समझा जाता है, और इस दौरान महिलाओं को उस जगह पर जाने की अनुमति नहीं दी जाते हैं जहां पर कोई शुभ कार्य या पूजा-पाठ हो रहा हो।
- पानी का पूरी तरह से लाल हो जाना.
लेकिन एक कामाख्या मंदिर में इस दौरान मामला बिल्कुल उल्टा रहा है। कहते हैं कि हर साल देवी को जब मासिक धर्म होता है तब ब्रह्मपुत्र नदी का पानी पूरी तरह से लाल हो जाता है। इस धोरा में यहां पर अंम्बुबाची मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले में शामिल होने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। 3 दिन के बाद मंदिर में भक्तों की काफी भीड़ इकट्ठे होती है। लोग देवी के मासिक धर्म से गीले वस्तु को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं, यही बातें यहां की विशेषताओं में शामिल है। दूर-दूर से यहां लोग माता के दर्शन के लिए आते हैं।
- कामाख्या मंदिर जाने का सही समय क्या है.
कामाख्या मंदिर जाने का सही समय है: प्रतिदिन सुबह 8:00 बजे से 1:00 बजे तक और फिर शाम 2.30 बजे से 5.30 बजे तक भक्तों की भीड़ लगी रहती है। भीड़ से बचने के लिए दोपहर में जाना बेहतर रहेगा। मंदिर में जाने के लिए हर व्यक्ति को ₹501 की टिकट करवानी पड़ती है। टिकट लेकर यह वह मंदिर में जाने की आज्ञा देते हैं। अगर आप भी मंदिर जाना चाहते हैं तो टिकट लेकर ही जाए ऐसे वह आपको मंदिर मैंने जाने नहीं देंगे।
- कामाख्या देवी मंदिर में किसे जाना चाहिए.
कामाख्या मंदिर को एक ऐसे स्थान के रूप में भी जाना जाता है जहां जोड़ें प्रजनन क्षमता और बच्चों के लिए प्रार्थना करने जा सकते हैं। ऐसा कहा जाता है कि अगर किसी महिला को संतान की इच्छा हो तो उसे मां कामाख्या देवी मंदिर में जा कर पूजा अर्चना करनी चाहिए। ऐसा करने पर मां उनकी हर मनोकामना को पूरा करती है।
- कामाख्या मंदिर 3 दिन के लिए क्यों बंद रहता है.
मेले के दौरान मंदिर 3 दिनों के लिए बंद किया जाता है। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि देवी कामाख्या पारंपरिक महिलाओं के मासिक धर्म आने के कारण 3 दिन के लिए एकांतवास में आराम करते हैं। इसलिए 3 दिन तक मंदिर को बंद रखा जाता है।
#कामाख्या मंदिर में दर्शन करने के लिए कितने घंटे रुकना पड़ता है। कामाख्या मंदिर जाने के लिए पहले तो ₹501 की टिकट लेनी पड़ती है फ्री में अंदर जाने देते हैं अंदर जाने के लिए बहुत ही लंबी भीड़ लगी रहती है। मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश करने के लिए 8-10 घंटे तक का समय लग जाता है।
- क्या मैं पीरियड के दौरान कामाख्या मंदिर में प्रवेश कर सकती हूं.
कामाख्या मंदिर में माता की योनि गिरी है। योनि गिरने से माता कामाख्या देवी का निर्माण हुआ है। इसलिए ऐसा माना जाता है कि देवी को जून के महीने में 3 दिनों तक मासिक धर्म सहना पड़ता है, जिसके परिणाम स्वरूप मंदिर के दरवाजे बंद रहते हैं। इस प्रकार अंबुबाची मेला यह दर्शाता है कि 3 दिनों तक वातावरण अशुद्ध रहता है।
- कामाख्या मंदिर के अंदर बैग की अनुमति है.
किसी भी श्रद्धालुओं को मंदिर के अंदर बैग ले जाने की अनुमति नहीं है। अंदर जाना है तो आप अपना मोबाइल फोन साथ लेकर जा सकते हैं। लेकिन बैग और जूते आप किसी बाहर दुकान पर ही रख सकते हैं।
- कामाख्या देवी मंदिर की पूजा करने से क्या होता है.
यह एक तांत्रिक देवी है और तांत्रिक सिद्धि प्राप्त करने के लिए इनकी पूजा की जाती है। देवी को कामाख्या पूजा से प्रसन्न किया जाता है कामाख्या देवी माता सती का ही एक रूप है।
- कामाख्या मंदिर कब बंद रहता है 2023.
22 जून को मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। और 26 जून को मां कामाख्या देवी को स्नान कराके और माता का शृंगार करने के बाद दर्शन के लिए कपाट खोल दिजे जाते हैं।
- कामाख्या देवी मंदिर में पुरुषों को अनुमति क्यों नहीं है.
घाटी के प्रसिद्ध कामाख्या मंदिर की तरह विशाखापट्टनम में कामाख्या पीठ भी हर महीने कुछ दिनों के लिए पुरुषों के लिए अपने द्वार बंद कर देता है। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दौरान माता अपने मासिक धर्म में होते हैं जिस कारण उस टाइम पर यह दबार बंद कर दिए जाते हैं।
- कामाख्या नाम का मतलब क्या होता है.
कामाख्या देवी, देवी दुर्गा का ही अंश है, इस मंदिर की क्या मान्यता है कि जो भी यहां अपनी मुराद लेकर आता है वह तो उनकी हर मुराद को पूरा करते हैं। कहते हैं कि जिस औरत को संतान की प्राप्ति नहीं होती। जो महिला अपनी मुराद लेकर इस मंदिर में आती है माता उनकी गोद को भर देती हैं।
हमने ये जानकारी इतिहासिक किताबों और कई इतिहासिक ग्रन्थों से ली है कोई भी त्रुटि हो तो उसके लिए क्षमा प्रार्थी हैं अधिक जानकारी और सुझाव के लिए contactus@vaishnomata.in पर संपर्क करें।
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