पाकिस्तान में भी है मां दुर्गा का शक्तिपीठ, जानिए शक्तिपीठ की पुरानी की कथा।
Hinglaj Mata Pakistan: मान्यता है कि इस काल में हिंगलाज में माता सती का ब्रह्मरंध्र अर्थात सर गिरा था। तब से हिंगलाज माता के शक्तिपीठ की स्थापना हुई है इस शक्तिपीठ का वर्णन शिवपुराण देवी भगवती पुराण और कालिका पुराण आदि में मिलता है। हिंगलाज माता के भैरव कोटविश या भीमलोचन कहे जाते हैं।
मां दुर्गा के शक्तिपीठों के बारे में आप जानते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि इन्हें शक्तिपीठों में से एक पाकिस्तान में भी शक्तिपीठ है। आज भी पाकिस्तान में मां दुर्गा की पूजा की जाती है। पुरानी कथा के अनुसार जहां जहां माता सती के अंग गिरे थे, उन स्थानों पर शक्तिपीठों की स्थापना हुई थी। उनमें से ही मां दुर्गा का एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है हिंगलाज माता का शक्तिपीठ।
यह शक्तिपीठ पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है। हर साल नवरात्रों के समय यहां मेला लगता है, और मां के भक्तों की धूम रहती है हिंगलाज माता का दर्शन वहां के मुस्लिम मुस्लिम भी करते हैं आइए हम आपको हिंगलाज माता के शक्तिपीठ के बारे में विस्तार पूर्वक बताते हैं।
हिंगलाज माता पाकिस्तान शक्तिपीठ: पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत की लारी तहसील में हिंगलाज माता का शक्तिपीठ आज भी स्थापित है। यह कराची से करीब 250 किलोमीटर की दूरी पर पहाड़ों के बीच में स्थित है। हिंगलाज माता को यहां हिंगुला माता या नानी का मंदिर भी कहते हैं।
हिंगुला माता को जाटों की कुलदेवी कहा जाता है। आज भी भारत के गुजरात, राजस्थान, पंजाब, और पूरे पाकिस्तान से श्रद्धालु यहां आते हैं। नवरात्रों के अवसर पर आज भी यहां मेला लगता है। यहां तक की हिंगलाज माता के भक्तों में पाकिस्तान के मुस्लिम समुदाय के लोग भी शामिल होते हैं।इस मंदिर को नानी का मंदिर और मां दुर्गा की बीवी नानी कहते हैं।
हिंगलाज माता की पौराणिक कथा: पौराणिक कथा के अनुसार माता सती के दाह के बाद जब भगवान शिव उनके शरीर को लेकर तांडव कर रहे थे। तब उनके क्रोध को शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र चलाकर मां सती के शरीर के 51 टुकड़े कर दिए थे। जो आज मां के 51 शक्तिपीठों के नाम से जाने जाते हैं।
मान्यता है कि इस काल में हिंगलाज में माता सती का ब्रह्ममरंध्र अर्थात सिर गिरा था। तब से यहां हिंगलाज माता के शक्तिपीठ की स्थापना हुई है। इस शक्तिपीठ का वर्णन शिवपुराण, देवी भगवती पुराण और कलिका पुराण आदि में मिलता है। हिंगलाज माता के भैरव कोटृवीशा या भीमलोचन कहे जाते हैं। इनके अतिरिक्त यहां पर भगवान गणेश, माता काली और गोरखनाथ की धूनी भी स्थापित है।
हिंगलाज माता किसकी कुलदेवी है?
हिंगलाज माता काठियावाड़ के राजा की कुलदेवी है। कलाम तेरे में राजा के वंशजों को जीविकोपार्जन के लिए मप्र के छिंदवाड़ा में आना पड़ा। वे अपने साथ हिंगलाज माता की प्रतिमा भी ले आए। और छिंदवाड़ा में एक कोल माइन के पास उसे स्थापित कर दिया।
हिंगलाज माता की सवारी क्या है?
माता हिंगलाज को सरस्वती का रूप माना गया है, इसलिए माता की सवारी में हंस की सवारी दर्शायी गई है।
हिंगलाज माता कौन है?
हिंगलाज माता मंदिर भारत के सबसे पुराने मंदिर में से एक है। भारत में केवल दो हिंगलाज मंदिर है एक पाकिस्तान की सीमा के पास है और अगला बर्कुही छिंदवाड़ा जिले के पास अंवारा में है। यह दक्षिण में स्थित है (परसिया रोड द्वारा) टाउन से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
हिंगलाज माता कौन से देश में है? हिंगलाज माता मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के हिंगलाज में हिंगोला नदी के तट पर स्थित एक हिंदू मंदिर है। यह मां सती के 51 शक्तिपीठों में से एक है।
हिंगलाज मंदिर कितना पुराना है?
उन्होंने कहा, “यह 5,000 साल पुराना मंदिर है और हिंदुओं के लिए बहुत धार्मिक महत्व रखता है। उन्होंने कहा कि हिंगलाज माता मंदिर है जिसके भक्तों में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल है। इसी तर्ज पर विकसित किया जाना चाहिए क्योंकि यह बलूचिस्तान की पूरी जमीन स्थितियों को बदल देगा।
माता हिंगलाज मंदिर पाकिस्तान में कैसे जाएं:
हिंगलाज माता का मंदिर पाकिस्तान के कराची शहर से 250 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां आप सड़क मार्ग से यात्रा करके पहुंच सकते हैं। कई ट्रेनें या फ्लाइट से करांची पहुंचा जा सकता है। और हिंगलाज माता मंदिर तक पहुंचने के लिए टैक्सी या कार से कराची पहुंच सकते हैं।
पाकिस्तान में कितने शक्तिपीठ है:
बांग्लादेश में सबसे अधिक 4 शक्तिपीठ है। पाकिस्तान में हिंगलाज, बांग्लादेश, में सुगंधा देवी शक्तिपीठ, चक्र भवानी,जेशोरश्वेरी,करतओयआघआट शक्तिपीठ मौजूद है। इसके अलावा नेपाल में दो मुक्तिधाम मंदिर, गुह्रोश्वरी शक्तिपीठ है।
हिंगलाज में सती का कौन सा भाग गिरा था:
कराची के उत्तर पूरब से लगभग 125 किलोमीटर दूर हिंगलाज में सती का सिर गिरा था। यहां देवी शक्ति कोटृरी के रूप में है। स्थानिक रूप से नतियांग दुर्गा मंदिर के रूप में जाना जाता है। शक्तिपीठ वह स्थान है जहां सती की बाई जांघ गिरी थी।
पाकिस्तान के बॉर्डर पर कौन सी माता का मंदिर है:
जैसलमेर में भारत-पाक सीमा पर बने तनोट माता के मंदिर से भारत पाकिस्तान युद्ध 1965 और 1971 की लड़ाई की कई अजीबोगरीब यादें जुड़ी हुई है। यह मंदिर भारत की ही नहीं बल्कि पाकिस्तान सेना के फौजियों के लिए भी आस्था का केंद्र बना रहता है।
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