Chichi Mata Temple Samwa – चीची माता मंदिर सांबा

।। चीची माता मंदिर।।

  • कहा जाता है कि जब दक्ष ने अपने घर में यज्ञ करवाया था, तब उसने भगवान शंकर जी को अपने घर पर नहीं बुलाया था। तब क्रोध में आकर सती माता ने भगवान शंकर से अपने पिता के घर जाने की आज्ञा मांगी थी।और भगवान शंकर ने उन्हें वहां जाने से मना किया था।पर सती माता के बार-बार हट करने पर भगवान शंकर को उनके हट के आगे झुकना पड़ा था। जब सती माता क्रोध में अपने पिता दक्ष के घर गई तब उन्होंने शंकर जी को वहां पर ना बुलाने का कारण पूछा दक्ष भगवान शंकर को अपने बराबर का नहीं समझते थे।
  • chichi mata temple samwa
  • तब क्रोध में आकर सती माता ने कुंड में अपने आप को सती कर लिया था। क्योंकि वह भगवान शंकर को अपमानित होते हुए नहीं देख सकती थी। जब भगवान शंकर को यह बात पता चली थी तब उन्होंने गुस्से में आकर रूद्र रूप धारण किया था। तो वह सती को वहां से लेकर चले गए थे। भगवान शंकर के गुस्से को शांत करने के लिए तब देवताओं ने विष्णु जिसे उनके गुस्से को शांत करने को कहा था।
  • तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के 51 टुकड़े कर दिए थे। वहीं 51 टुकड़े आज 51 शक्तिपीठों के नाम से जाने जाते हैं। सती माता के शरीर के टुकड़े जहां-जहां गिरे वह शक्तिपीठ कहलाए। कहते हैं कि इस स्थान पर मां की चिची उंगली अर्थात सबसे छोटी उंगली गिरी थी। इसी के चलते यह स्थान चीचि माता के नाम से जाना चाहता है।
  • चीची माता मंदिर
  • यहां गिरी सती की छोटी उंगली सांबा के निकट बसंतर नदी किनारे राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित चीचि माता मंदिर है। यहां पर हर समय श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती हैं। वही बाहर से आने वाले पर्यटक भी यहां वाहन रोककर माता चीची के दर्शन करने का अवसर नहीं गंवाते।
  • चीचि माता का वर्णन पौराणिक कथाओं में मां चर्चिका के रूप में भी मिलता है। वसंतर नदी जिसमें कृष्ण के पुत्र सम्ब ने तप कर कुष्ठ रोग से निजात पाई थी। उसी के नाम पर इस स्थान का नाम सांबा पड़ा था। यहां चीची माता का यह मंदिर स्थित है। बसंतर नदी मां के परिसर के निकट से इस प्रकार गुजरती है जैसे चीची माता का चरण स्पर्श कर रहे हो। सांबा के निकट इस पवित्र स्थल चीची माता में हर रविवार और मंगलवार को श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। नवरात्रों मैं तो यहां रिकॉर्ड तोड़ भी रहती है। पहाड़ियों में स्थित चीची माता को लोग मां पार्वती अर्थात सती का शक्तिपीठ मानते हैं।
  • chichi mata temple samwa
  • सांबा में बसंतर नदी के तट पर स्थित धार्मिक स्थल चीची माता मंदिर में बुधवार को आस्था का सैलाब उमड़ता है। सुबह 4:30 बजे जैसे ही मंदिर के द्वार खुलते हैं । श्रद्धालुओं की भीड़ लगना शुरू हो जाती है।दूर-दूर से यहां श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए आते हैं। सुबह 5:00 बजे माता के दरबार में माता की आरती की जाती है। जिसमें हजारों की तादाद में भक्त मौजूद रहते हैं।
  • चीची माता मंदिर
  • मंदिर में नवग्रह पूजा, गणेश पूजा, और कलश पूजा, का ध्वजारोहण किया जाता है। दरबार में आए सभी श्रद्धालु आरती का लुफ्त उठाते हैं। जो श्रद्धालु अपने मनोकामना लेकर मां के दरबार में आता है मां उनकी हर मनोकामना को पूरा करती है। उन्होंने बताया कि यात्री बसें श्रद्धालुओं को मंदिर से लाने और ले जाने का काम करती हैं। मंदिर परिसर में बनाए गए स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात कर्मचारियों को भी स्वास्थ्य विभाग की ओर से दिशा निर्देश दिए जगह गए हैं। मंदिर कमेटी के प्रबंध के अनुसार मंदिर परिसर में ही श्रद्धालुओं के लिए सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाती है।
  • नवरात्रों में सबसे ज्यादा मां के मंदिर में रौनक लगती है। दूर-दूर से यहां नवरात्रों में माता के दरबार में लोग दर्शन करने के लिए आते हैं। माता के मंदिर में शीश नवाने के लिए श्रद्धालु सुबह सवेरे से ही पहुंचने लगते हैं। रविवार को चीची माता के मंदिर में बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ लगी रहती है।
  • नवरात्रों में माता के मंदिर में हजारों भक्तों की भीड़ लगी रहती है। उनके अनुसार अन्य दिन पांच से छे हजार के करीब श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। प्रशासन की तरफ से भी जरूरी प्रबंधक किए गए हैं। मंदिर प्रबंधक कमेटी के प्रधान केएल गुप्ता के अनुसार श्रद्धालुओं के लिए हर सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। मंदिर परिसर के अंदर हर प्रकार की दुकानें भी सजी हुई हैं।
  • chichi mata temple samwa
  • प्रसाद, खान, पान, अस्पताल व अन्य दुकानें भी लगाई जाती है। यहां के प्रबंधकों का कहना है कि जो भी श्रद्धालु माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए जाता है। तो वह रास्ते में माता चीची के दर्शन करने जरूर आता है। चीची माता मंदिर में हर प्रकार की सुविधाएं प्राप्त है।
  • चीची माता का मंदिर धार्मिक स्थलों में से एक है, और आमतौर पर इसे वैष्णो देवी के मंदिर का प्रवेश द्वार भी माना जाता है। यह मंदिर जम्मू और कश्मीर के सांबा क्षेत्र में स्थित है। इसी माता वैष्णो देवी के तीर्थ स्थल का पेहला दर्शन और अभिन्न अंग कहा जाता है। वैष्णो माता की यात्रा तब तक अधूरी रहती है जब तक कि कोई चीचि माता के दर्शन नहीं करता। नवरात्रों के त्योहार के दौरान बड़ी संख्या में भक्त मंदिर में आते हैं।

        ।। चीची माता कैसे जाएं।।

चीची माता मंदिर

#हवाई मार्ग से चिची माता कैसे जाएं।।
अगर आप हवाई मार्ग से चीची माता जाना चाहते हैं। सबसे निकटतम हवाई अड्डा जम्मू सिविल एंक्लेव जम्मू है। कई यात्री माता के दर्शन के लिए हवाई यात्रा करते हैं।

#ट्रेन से माता कैसे जाएं।।
अगर आप ट्रेन से माता के दर्शन के लिए जाना चाहते हैं। तो आप पठानकोट से जम्मू की ट्रेन ले सकते हैं। पठानकोट से होती हुई ट्रेन सांबा रेलवे स्टेशन तक जाती है। रेलवे स्टेशन से बाहर आते ही लोग वहां से टैक्सी कर लेते हैं मां के दरबार जाने के लिए। मां के दरबार को मिनी बसें भी जाती हैं।

#सड़क मार्ग से कैसे जाएं।।
अगर आप सड़क मार्ग से माता के दरबार जाना चाहते हैं। सांबा में माता के दरबार जाने के लिए बसे लगी रहती हैं। परंतु ज्यादातर लोग अपने वाहन पर ही जाते हैं। यह सांभर शहर से केवल 2 किलोमीटर की दूरी पर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है। ज्यादातर लोग माता वैष्णो के दरबार में जाने से पहले चीची माता के दर्शन करते हुए जाते हैं।

हमने ये जानकारी इतिहासिक किताबों और कई इतिहासिक ग्रन्थों से ली है कोई भी त्रुटि हो तो उसके लिए क्षमा प्रार्थी हैं अधिक जानकारी और सुझाव के लिए contactus@vaishnomata.in पर संपर्क करें।

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