भोले तेरे मंदिर में डमरू भजे दिन रात
डमरु बजे दिन-रात.
भोले तेरे मंदिर में.
मंदिर में तेरे मंदिर में.
डमरु बजे दिन-रात,
भोले तेरे मंदिर में.
भोले तेरे मंदिर में कान्हा जी आए.
कान्हा जी आए संग राधा जी को लाए.
बंसी बजे दिन रात भोले तेरे मंदिर में.
डमरु बजे दिन-रात।
भोले तेरे मंदिर में.
भोले तेरे मंदिर में ब्रह्मा जी आए.
ब्रह्मा जी आए संग ब्राह्मणी को लाए.
वेद सुने दिन रात भोले तेरे मंदिर में.
डमरु बजे दिन रात.
भोले तेरे मंदिर में.
भोले तेरे मंदिर में विष्णु जी आए.
विष्णु जी आए संग लक्ष्मी को लाए.
चक्र चले दिन रात भोले तेरे मंदिर में.
डमरु बजे दिन-रात.
भोले तेरे मंदिर में.
भोले तेरे मंदिर में गणपति जी आए.
गणपति जी आए संग रिद्धि सिद्धि लाए.
लड्डूं बटे दिन-रात.
भोले तेरे मंदिर में.
डमरु बजे दिन-रात
भोले तेरे मंदिर में.
भोले तेरे मंदिर में डमरू भजे दिन रात |
भोले तेरे मंदिर में डमरू भजे दिन रात: शिव भक्ति की अविरल गूंज
भारत की आध्यात्मिक भूमि पर, जहाँ आस्था की जड़ें बहुत गहरी हैं, वहां भगवान शिव के मंदिर केवल पत्थर और गारे की संरचनाएं नहीं, बल्कि जीवंत ऊर्जा के केंद्र हैं। जब हम सुनते हैं – “भोले तेरे मंदिर में डमरू भजे दिन रात”, तो यह केवल एक भजन की पंक्ति नहीं लगती, बल्कि उन अनगिनत शिवालयों का सजीव वर्णन महसूस होता है जहाँ भक्ति की धारा कभी नहीं रुकती। यह ध्वनि उस शाश्वत विश्वास का प्रतीक है जो दिन के उजाले और रात के अंधकार से परे है। आइए, इस अविरल भक्ति और डमरू की दिव्य ध्वनि के पीछे छिपे आध्यात्मिक रहस्य को समझें।
महादेव और डमरू का दिव्य संबंध
भगवान शिव का स्वरूप उनके प्रतीकों के बिना अधूरा है। त्रिशूल, सर्प, और चंद्रमा की तरह ही डमरू भी उनके व्यक्तित्व का एक अभिन्न अंग है। लेकिन डमरू केवल एक वाद्य यंत्र नहीं है, यह ब्रह्मांड की ध्वनि का प्रतीक है।
- सृष्टि का नाद: पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब सृष्टि का कोई अस्तित्व नहीं था, तब महादेव ने अपने आनंद तांडव के दौरान डमरू बजाया था। उससे जो पहली ध्वनि ‘नाद’ उत्पन्न हुई, उसी से ब्रह्मांड का सृजन हुआ। डमरू की ध्वनि को ‘ॐ’ का ही स्वरूप माना जाता है, जो सृष्टि की आदि और अनंत ऊर्जा का स्रोत है।
- ऊर्जा और संतुलन: डमरू के दोनों सिरे विस्तार और संकुचन का प्रतीक हैं – ठीक वैसे ही जैसे यह ब्रह्मांड फैलता और सिकुड़ता है। यह जीवन और मृत्यु, सृजन और विनाश के निरंतर चक्र का प्रतिनिधित्व करता है, जिसे केवल महादेव ही संतुलित करते हैं।
- नकारात्मकता का नाश: ऐसी मान्यता है कि डमरू की ध्वनि से उत्पन्न होने वाली तरंगें वातावरण में मौजूद सभी नकारात्मक शक्तियों को नष्ट कर देती हैं और एक सकारात्मक एवं पवित्र ऊर्जा क्षेत्र का निर्माण करती हैं। यही कारण है कि शिव मंदिरों में इसकी ध्वनि मन को असीम शांति प्रदान करती है।
भारत के वे शिवालय जहाँ भक्ति नहीं लेती विराम
भारत में कई ऐसे जागृत शिव मंदिर हैं जहाँ पूजा और अनुष्ठान का क्रम चौबीसों घंटे चलता रहता है। इन मंदिरों में डमरू और घंटियों की ध्वनि एक पल के लिए भी शांत नहीं होती, जो भक्तों को निरंतर महादेव की उपस्थिति का एहसास कराती है।
- काशी विश्वनाथ, वाराणसी: दुनिया के सबसे प्राचीन शहरों में से एक, काशी में बाबा विश्वनाथ का मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख है। यहाँ मंगला आरती से लेकर शयन आरती तक, हर प्रहर में पूजा होती है और “हर हर महादेव” का जयघोष गूंजता रहता है।
- महाकालेश्वर, उज्जैन: कालों के काल महाकाल की इस नगरी में भस्म आरती का दृश्य अलौकिक होता है। यह एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है, जहाँ दिन-रात की पूजा का विधान भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देता है।
- सोमनाथ, गुजरात: यह भारत का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। समुद्र के किनारे स्थित इस भव्य मंदिर में भी भक्ति का प्रवाह अटूट है। यहाँ की हवाओं में घुली शिव भक्ति और डमरू की गूंज एक अलग ही अनुभव देती है।
“दिन-रात” की साधना का आध्यात्मिक रहस्य
“दिन-रात” की भक्ति का गहरा आध्यात्मिक महत्व है। यह हमें सिखाता है कि ईश्वर की चेतना किसी समय या काल से बंधी नहीं है।
यह निरंतर पूजा इस बात का प्रतीक है कि भगवान की कृपा अपने भक्तों पर सदैव बरसती है, चाहे दिन हो या रात। यह भक्तों को यह आश्वासन देती है कि वे कभी अकेले नहीं हैं और उनके रक्षक महादेव हर पल उनके साथ हैं। रात्रि के शांत पहर में की गई साधना अधिक फलदायी मानी जाती है क्योंकि उस समय मन बाहरी दुनिया से कटकर पूरी तरह अंतर्मुखी हो जाता है। मंदिरों में दिन-रात बजता डमरू उसी सतत ध्यान और साधना का प्रतीक है।
निष्कर्ष
“भोले तेरे मंदिर में डमरू भजे दिन रात” केवल एक आस्था नहीं, बल्कि एक जीवंत अनुभव है। यह डमरू की ध्वनि ब्रह्मांड का स्पंदन है, जो हमें याद दिलाता है कि महादेव की ऊर्जा कण-कण में व्याप्त है और उनकी भक्ति के लिए कोई निश्चित समय नहीं होता। यह एक सतत चलने वाली यात्रा है, जो भक्त को भगवान से जोड़ती है और जीवन को एक नई दिशा और शांति प्रदान करती है।
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